Paperless Budget : Another step towards E-Governance, पहला राज्य कौन सा है?

 दिल्ली की तर्ज पर पंजाब में आप आदमी पार्टी काम करने की बात कहती रही और सत्ता में आई , अब दिल्ली की तर्ज पर ही पंजाब सरकार के वित्त मंत्री हरपाल चीम्मा की और से इस बार कागज रहित बजट पेश किया . इसकी घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 25 मई 2022 को की थी. उन्होंने इसे ई-गवर्नेंस की ओर बढ़ता हुआ कदम बताया . उन्होंने लिखा था कि इससे खजाने के करीब 21 लाख रुपये और 34 टन कागज बचेगा. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट कर लिखा कि पंजाबियों के नाम एक खुशखबरी है.  हमारी सरकार ने फैसला किया है कि इस बार पंजाब सरकार का बजट कागज रहित (paperless) होगा... इससे खजाने के लगभग 21 लाख रुपये बचेंगे... 34 टन कागज बचेगा, . मतलब 814-834 के करीब पेड़ बचेंगे... Another step towards E-Governance.



पेपरलेस बजट का मतलब क्या होता है?
पहले बजट के कागजों का पुलिंदा होता था, अब बजट कागजरहित या पेपरलेस हो गया है. नई-नई तकनीक का असर बजट पर भी दिखने लगा है. पूरी दुनिया डिजिटल हो रही है तो बजट ने भी अपना स्वरूप बदल लिया है. इस बार बजट के कुछ कागज ही छपेंगे, बाकी पूरी तरह से पेपरलेस होगा और मोबाइल, कंप्यूटर पर इसे देखा और पढ़ा जा सकेगा.

कब से हिंदी में बजट प्रिंट हो रहा है?
भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी ने यह बजट पेश किया था। 1955-56 से बजट के दस्तावेज को हिन्दी में भी तैयार किए जाने लगा। इससे पहले बजट केवल अंग्रेजी भाषा में बनाया जाता था।

पेपरलेस बजट पेश करने वाला पहला राज्य कौन सा है?
पेपरलेस बजट पेश करने वाला पहला राज्य  उत्तर प्रदेश है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार 22 फरवरी 2021 को विधान सभा में पहला पेपरलेस बजट 2021 पेश किया। उत्तर प्रदेश पेपरलेस बजट पेश करने वाला पहला राज्य है।


देश की पहली ई विधान प्रणाली की
आठ साल पहले हिमाचल विधानसभा पेपरलेस हो चुकी है. ई-विधान प्रणाली लागू करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. यहां अगस्त 2014 की 5 तारीख को विधानसभा पूरी तरह से ई-विधान घोषित हुई. हिमाचल प्रदेश विधानसभा की ई-विधान प्रणाली कई मायनों में अनूठी है. यहां सारा कामकाज ऑनलाइन होता है. प्रणाली के तहत टच स्क्रीन सिस्टम (touch screen system) पर सारी सूचनाएं मौजूद हैं. विधायकों व मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री और मीडिया गैलेरी में टच स्क्रीन डिस्प्ले सिस्टम लगा है.

देश की अन्य विधानसभाओं ने भी ली हिमाचल से प्रेरणा:
सफलता से ई-विधान लागू करने वाली हिमाचल विधानसभा से देश में अन्य राज्यों की विधानसभाओं ने भी प्रेरणा ली है. उत्तर पूर्व के राज्यों, हरियाणा, झारखंड आदि के अधिकारियों ने हिमाचल विधानसभा का दौरा कर इस प्रणाली की जानकारी जुटाई है. केंद्र सरकार के अफसरों ने भी यहां का दौरा किया है. ई-विधान लागू होने से सारा काम पेपरलेस है. इससे साल भर में 6096 पेड़ कटने से बचते हैं और हर साल 15 करोड़ रुपए की बचत भी होती है.

साइबर सिक्योरिटी पर भी खास ध्यान:
ई-कैबिनेट एप्लिकेशन में साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. इस एप्लिकेशन में केवल अधिकृत कंप्यूटरों पर अधिकृत उपयोगकर्ताओं को ही इस्तेमाल की अनुमति है. उपयोगकर्ता को कैबिनेट ज्ञापन के स्क्रीनशॉट लेने, डाउनलोड या प्रिंट करने की अनुमति नहीं है. साथ ही यदि कहीं से कोई अनाधिकृत प्रयास होता है तो अपने ऑप यानी ऑटोमेटिक अलर्ट आ जाएगा. इसके अलावा सुरक्षा के लिहाज से ओटीपी का उपयोग करके ही लॉगिन किया जा सकता है. इस एप्लीकेशन में डाले गए सभी कैबिनेट ज्ञापनों में दिनांक और समय टिकट के साथ विशेष क्यूआर कोड होगा.


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