पंजाबी गीतकारों की कलम की नौक पर पत्रकार !
पंजाबी गीतकारों की कलम की नौक पर पत्रकार !
पंजाब में जब भी बंदूक
की नौक पर लूटपाट, हत्या या कोई दूसरी कोई वारदात की खबर सामने आती है तब
पत्रकारों की तरफ से लिखा जाता है या फिर टीवी में दिखाया जाता है कि
फ़िल्मी स्टाइल में वारदात को अंजाम दिया गया। क्यूंकि ऐसे बहुत से वाक्य
फ़िल्मी कहानियों में दिखाए गए होते हैं जो घटित घटना से संबंधित होते हैं।
लेकिन वर्तमान में ऐसे बहुत सी घटनाएं सामने आ रही हैं जिसमे पत्रकारों को
ही अहम दोषी कहा जा रहा है।
नेशनल इंटररस्ट का मुद्दा बना मुस्सेवाला मर्डर
पंजाबी
गायक सिद्धू मुस्सेवाला की दिन -दिहाड़े हत्या की वारदात को अंजाम देने के
बाद जहाँ पुलिस की कारगुज़ारी और राज्य सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठे
वहीं एक वर्ग ऐसा भी सामने आया जिन्होंने पत्रकारों की कलम, आवाज़ और दिखाई
जा रही तस्वीर को ही सवालों के कटहरे में खड़ा कर दिया।
लेकिन यह कोई
पहली बार नहीं हो रहा था इससे पहले भी पत्रकारों की कलम पर सवाल उठते रहे
हैं। चाहे दिल्ली की सरहदों पर किसान आंदोलन- जिस दरमियान कहा जाने लगा की
एक तिहाई पत्रकार वर्ग सरकार की कठपुतली बन चूका है। उसके बाद पंजाब का ही
कलाकार दीप सिद्धू - जिसकी सड़क हादसे में मृत्यु हो गई। कुछ मिडिया वर्ग
के द्वारा दीप सिद्धू की सड़क हादसे में हुई मौत को इरादतन हत्या करार दिया
गया और जांच की मांग की गई। दीप सिद्धू की हत्या पर सोशल मिडिया में
सुशांत सिंह राजपूत की मर्डर मिस्ट्री की तरह ही दिखाया भी जाने लगा लेकिन
उससे पहले ही पंजाब में सिद्धू मुस्सेवाला ही हत्या हुई जो धीरे -धीरे
नेशनल इंटररस्ट का मुद्दा बन गया लेकिन सियासतदान इससे पहले आरोप
-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रखते उपचुनाव का माहौल बन गया।
पत्रकार,'लाश को नौचने वाले चील'
हाल
ही में सिद्धू मुस्सेवाला ही हत्या के बाद एक के बाद एक कलाकार पत्रकारों
की निंदा करते हुई दिखाई दे रहा है. 12 जून की श्री बराड़ की ने 'नेवर डाई'
गाना यु-ट्यूब पर जारी करते हुए पत्रकारों की तुलना लाश को नौच -नौच कर
खाने वाली चील से कर दी। कानून व्यवस्था, राजनीति और मिडिया पर प्रश्न
उठाने वाले इस गायक और लेखक ने गाने की पंक्तियों में लिखा 'पैण पत्रकार
कलाकारां नूं, जीवें लाश नूं पैंदी चील वीरे' - इथे सच बोलण ते पैण मुकदमे
भारे, जियोंदिआं ते पर्चे ए-मरियाँ ते सियासत नारे'
NEVER DIE : Shree brar (Official Video) | New Song 2022
Song Link : https://www.youtube.com/watch?v=uhoqVskH76o
'आप' हरियाणा में जीत के लिए दाव पर लगा देगी पंजाब का पानी
श्री
बराड़ के अल्फ़ाज़ों में इतना ही नहीं था, पंक्तियों में यह भी कहा गया है कि
पंजाब सीएम भगवंत मान आप संयोजक व दिल्ली सीएम केजरीवाल के दवाब में हैं।
साथ ही पंजाब सीएम को सियाणा बताते हुए समझदारी से काम को अमलीजामा पहनने
की सलाह भी गई। बता दें कि श्री बराड़ के इस गाने में बताया गया है कि कोई
भी माँ किसी गैंगस्टर को जन्म नहीं देती हुक्मरान नौजवानों को गैंगस्टर
बनाते हैं। साथ ही सालों के चले आ रहे एस वाई एल के मसले पर यह भी श्री
बराड़ ने इशारा किया है कि 'आप' हरियाणा में जीत हासिल करने के लिए पंजाब का
पानी दाव पर लगा सकती है।
मनकीरत औलख ने पत्रकारों पर निकली भड़ास
मनकीरत औलख ने वर्ष 2016 में पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में कदम रखा था। उन्होंने पंजाबी फिल्म मैं तेरी तू मेरा से सिंगर के रूप में डेब्यू किया था। औलख को कबड्डी खेलने का काफी शौक है। वर्ष 2013 में वह कुश्ती प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं। लेकिन जब पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में हरियाणा के पंजाबी गायक मनकीरत औलख और उसके मैनेजर का नाम आया है, लेकिन अब गैंगस्टर लॉरेंस के साथ नजदीकी सामने आने और विरोधी गैंगस्टरों द्वारा धमकियां मिलने के बाद दोनों की मुश्किलें और बढ़ गई । मनकीरत औलख ने पत्रकार वर्ग पर कहा था - हाथ जोड़ कर विनती है अगर अच्छा नहीं छाप सकते तो बुरा भी न छापो। जब सिद्धू मुस्सेवाला ज़िंदा था तब उसके बारे में कुछ भी लिखा और उसे गवा दिया और आज वही सब मेरे साथ कर रहे हो। साथ ही मनकीरत औलख ने यह भी कहा था कि पत्रकार झूठ छाप और बोल रहे हैं।
जैसा बीजोगे, वैसा काटोगे ?
पंजाब में ही नहीं कई राज्यों में हथियारों में साथ क्राइम एंगल से गानो का चलन लगातार बढ़ गया है। पंजाब कांग्रेस सीट से हार हो जाने सिद्धू मुस्सेवाला ने अपने गाने के जरिए कहा था कि बताओ अब गद्दार कौन है लेकिन आज कई लोग पूछते हैं इस उसकी मौत के पीछे उठते सवाल बहुत है। पंजाब में गन कल्चर लगातार बढ़ता जा रहा है और भविष्य में चिंता का विषय भी बनता जा रहा है। वहीं पिछले कई सालों से प्रोफेसर पंडित राव धनेश्वर भी लचर गायकी और हथियारों वाले गानो पर बैन की मांग को लेकर कोर्ट में क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। पर धरातल में हकीकत गानों से सब ब्यान हो रही है कि आज जिन गायकों ने जो गाने गए वही सब सच स्क्रीन में नहीं उनके सामने ही सब हो रहा है और गानों में दिखने वाला शौक अब ट्रेंड बनता जा रहा है। जिससे अब वर्तमान के हालातों से ही अंदाज़ा लगया जा सकता है भविष्य कैसा होगा ? पर अब दुखद है कि कुछेक पत्रकारों की वजह से कलम पर सवाल हैं और पत्रकारों सवालों के कटघरे में !
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