मज़बूरी, मजदूरी और मनरेगा फिर श्रम में शर्म ?
करोना का कहर इस कदर बढ़ गया है कि अब धीरे-धीरे काल साबित होने लगा है . पर सबके ग्रह पर शनि बैठा है यह भी नहीं कहा जा सकता क्यूँकि राहु और केतु भी करोना के कर कमलों पर चल रहे हैं . यूँ व्यतीत होता है कि वर्तमान में कालचक्र करोना कि चपेट में आ गया हो. सबकी दशा और दिशा बदल भी गई है और बिगड़ भी . करोना काल में अधिकतर लोग अपनी नौकरी से हाथ धो बैठे हैं और कुछेक नई के तलाश में फ़ोन घुमाए जा रहे हैं. कईयों का कार्य घर से ही प्रगति पर है ऐसे में शायद स्थिति सुविधा के लिए खेद है क्यूंकि दुविधा में हर उद्योगपति है. ऐसे में भयंकर स्थिति तब बनती है जिनके लिए परिवार और उसका पालन-पोषण करने के लिए कुछ भी करना पड़े ताकि कहीं न कहीं किसी न किसी तरीके से पैसा आता रहे.
जिक्रयोग है कि मई कि शुरुआत में अधिकांश प्रवासी मजदूर भी अपने गाँव चले गए जो बचे उनका कहा जाता है भाव बढ़ गया है. अब स्थिति ऐसी कहीं किसी से लक्ष्मी खुश है और कहीं नाराज़, कहीं रास्ता ही दहलीज़ का भूल गई है. एक वक्त था जब स्कूल से छुटियाँ होने पर नौजवान विद्यार्थी अपने कापी किताबें और जरुरी वस्तुएं लेने के लिए दिहाड़ी भी लगते थे लेकिन अब टाई पेंट पहनने वाले दिहाड़ी लगाने में और श्रम करने में शर्म महसूस करते हैं . लेकिन करोना काल में सालों पहले का दौर भी अब वापिस पटरी पर आया है वेशक मुल्ख की अर्थव्यवस्था धक्का स्टार्ट हो गई हो क्यूंकि अब डीजल-पेट्रोल के दाम भी आस्मां छूने लगे हैं.
महंगाई का वो मंजर पिछले दिनों नहीं दिखा जो अब आने वाले दिनों में दिखेगा. जाहिर सी बात है एक से दूसरे राज्य में आयात-निर्यात होने वाली वस्तुओं के मूल्य में इजाफा होगा चूंकि अब तेल सच में आम आदमी का तेल निकाल रहा है. धीरे-धीरे खाद्य सामग्री की कीमत में बढ़ोतरी होगी और हल्ला सड़कों पर दिखेगा. बीते दिनों चंडीगढ़ में पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान यूथ कांग्रेस प्रदर्शनकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और दाम कम करने की गुजारिश भी की. वर्तमान में आए दिन तेल की कीमतों में इजाफा होने से हर तरफ रोष है वहीँ अब इसका असर किसानों और बागवानों पर भी दिखने लगा है.
किसान एमएसपी पर लिए गए केंद्र सरकार के फैसले कहीं न कहीं नाराज़ पाए जा रहे हैं पंजाब में इसका बड़े स्तर पर विरोध हो सकता था लेकिन करोना कि आड़ में सब शांत रह गया साथ ही पंजाब, हरियाणा का किसान इन दिनों मजदूरों की मार भी झेल रहा है क्यूंकि अधिकांश प्रवासी मजदूर यूपी बिहार की तरफ रुख अप्रैल और मई में ही कर गए हैं. अब किसानों को धान की बिजाई के लिए परेशानी आ रही है. क्यूंकि मजदूर नहीं मिल रहे और जो हैं वो कहीं दिहाड़ी ज्यादा मांग रहे हैं.
कई राज्यों कि सरकारें अब डाटा तैयार करने लगी हैं कि सूबे में लौटे कितने लोगों कि नौकरी गई है. वहीँ कुछेक के लिए अब घर का खर्च चलने और रोजमर्रा जरूरतमंद चीजों के लिए मज़बूरी में मजदूरी भी करने लगे हैं . रोज़गार की तलाश जारी है पर जहन में तस्सली नहीं. पंजाब के जिले बरनाला में आर्थिक तंग के जूझ रहे परिवार के 10वीं -12वीं में पढ़ने वाले विद्यार्थी अब माँ-बाप के साथ कंधे से कन्धा मिलकर खड़े हैं, उन विद्यार्थियों का कहना है कि आर्थिक तंगी के चलते अब मज़बूरी हो गया है क्यूंकि परिवार का खर्चा निकल नहीं रहा और माता-पिता को भी करोना के भय से लोग दिहाड़ी पर बुला नहीं रहे.
वहीँ दूसरी तरफ महामारी के बीच मनरेगा कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार हुए प्रवासी कामगारों को 'मनरेगा' ने बड़ी संजीवनी दी है. मनरेगा के तहत जॉबकार्डधारी ग्रामीण परिवारों को रोजगार देने में कई साल का रिकॉर्ड पीछे छूट गया है. देश का कोई भी हिस्सा हो जहाँ मनरेगा के जरिए लोगों को रोज़गार के साथ थोडा आराम भी मिला है. लेकिन एक वक्त था जब केंद्र की भाजपा सरकार मनरेगा पर सवाल खड़े करती थी जोकि कांग्रेस के द्वारा शुरू की गई योजना थी वो आज देश में रोजगार के लिए रीड कि हड्डी का भी काम कर रही है जिससे लोगों को आर्थिक तंगी नहीं हो रही है . इसलिए शायद अपने एक पंक्ति सुनी होगी “मज़बूरी का नाम महात्मा गाँधी” ( व्यक्ति विशेष पर कोई टिप्पणी नहीं- सिर्फ एक बात कही जाती है ) जो भी कह लें लेकिन बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) के अंतर्गत दी जाने वाली 1 कार्ड है जिसके बदौलत मनरेगा के लाभार्थियों की पहचान की जाती है । MNREGA job card के बदौलत ही मनरेगा योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें रोजगार दिए जाते हैं । आज बिगडती परिवार की आर्थिक दशा में मनरेगा ने नीव का काम किया है जिसमे कई तरह की मानसिक और सामाजिक स्थिति बिगड़ने से बच गई हैं .
वहीँ कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जून 2020 को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान की शुरुआत की. इस अभियान ते तहत एक करोड़ से ज्यादा स्थानीय व प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे. पीएम ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भरता के रास्ते पर तेज़ गति से ले जाने का अभियान हो या फिर गरीब कल्याण रोज़गार अभियान हो, उत्तर प्रदेश यहां भी बहुत आगे चल रहा है.गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत श्रमिकों को आय के साधन बढ़ाने के लिए गांवों में अनेक कार्य शुरू करवाए जा रहे हैं.करीब 60 लाख लोग को गांव के विकास से जुड़ी योजनाओं में तो करीब 40 लाख लोगों को छोटे उद्योगों यानि MSMEs में रोज़गार दिया जा रहा है.इसके अलावा स्वरोज़गार के लिए हज़ारों उद्यमियों को मुद्रा योजना के तहत करीब 10 हज़ार करोड़ रुपए का ऋण आबंटित किया गया है.
प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अंतर्गत अकेले मनरेगा योजना के तहत गोंडा, बलरामपुर सहित 31 जिलों के लिए करीब 900 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयारी की है. अभियान के पहले दिन एक साथ करीब 65 लाख लोगों को एक साथ रोजगार देने की तैयारी है. यह अभियान 125 दिनों तक चलेगा.रोजगार पाने वाले लोगों में 50 प्रतिशत लोग वो होंगे, जो मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड हैं. सरकार के पास 36 लाख प्रवासी कामगारों का पूरा डेटा बैंक मैपिंग के साथ तैयार है. योगी सरकार इन कामगारों को एमएसएमई, एक्सप्रेस-वे, हाइवे, यूपीडा, मनरेगा जैसे तमाम क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार से जोड़ भी चुकी है. अब ये आंकड़ा एक करोड़ के पार पहुंचने वाला है. इतना ही नहीं, प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने और खुद को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने के लिए 5 मई को 57 हजार से अधिक इकाइयों को ऑनलाइन लोन दिया गया था.
लॉकडाउन के दौरान बाहर से लोगों को अपने यहां लाने की शुरुआत सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने की थी. हरियाणा बस भेज कर उन्होंने मज़दूरों को घर बुलवाया था. इसके बाद तो कुछ और राज्यों में भी बसें भेजी गई थीं. जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलने लगे तो लाखों लोग यूपी आए. क़रीब 36 लाख प्रवासी लोग यूपी में अपने घर लौटे. तब सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था ये लोग हमारी ताक़त हैं. हमारी पूंजी हैं.
PM Modi, CM Yogi Adityanath launch Atma Nirbhar Uttar Prades
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